दिल में तुम्हे रखा है Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

दिल में तुम्हे रखा है

Rating: 5.0

दिल में तुम्हे रखा हैं ऐसे जैसै राज
कोई न जाने तु भी न जाने, जो चाहे आ जाए आँच

कोई चुराए दौलत ही मेरी
किंमत लगाकर शोहरत ही मेरी
जुदा कोई कर ना सकेगा ये दामन
तु जो समाई हैं साँसो में मेरी
मैंने वफ़ा का सिर पे तेरे रखा है सिंदूरी ताज

दिल तोड़ने वाले लाखों हैं
दिल जोड़ने वाला कोई नहीं
दस्तूर जमाने का है सितम
पर तुमसे प्यारा कोई नहीं
तेरे मेरे बीच ना रह जाए कोई दूरी आज

मन से मन मिल जाता है
तो कहते हैं, पावन है मिलन
जीवन से ये वादा है
दे जाऊँगा मैं अपनापन
मैंने प्यार किया है, कोई चोरी नहीं जो लागे लाज

(डॉ. रविपाल भारशंकर)

Monday, December 29, 2014
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 29 December 2014

उक्त गीत में प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है. निम्न पंक्तियाँ मुझे विशेष रूप से प्रिय है: दिल तोड़ने वाले लाखों हैं दिल जोड़ने वाला कोई नहीं दस्तूर जमाने का है सितम पर तुमसे प्यारा कोई नहीं

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