गणतंत्र नहीं गुणतंत्र चाहिए
आदमी स्वतंत्र चाहिए
जीने के लिए मरने के लिए
आप अपने तरने के लिए
खाने के लिए पीने के लिए
नींद भर सोने के लिए
हंसने के लिए रोने के लिए
यूँ ही यहाँ खोने के लिए
गणतंत्र नहीं गुणतंत्र चाहिए
आदमी स्वतंत्र चाहिए
(डॉ. रविपाल भारशंकर)
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