जो हमपर छा गया है वो नशा है तुम्हारा
तुम ने ही गहरा किया है हल्का सा नजारा
तुम ने किताबो में पढ़ी होगी ये बाते
हम ने धड़कनो से लिखे हैं इरादे
इरादे तुमपर आ गये यही तो है जीयरा
तुम ने ही गहरा किया है हल्का सा नजारा
इक बार या सौ बार हालत यही हर बार
हर बार मुहब्बत में तरसाते हैं दीदार
दीदार हम को तेरे तुम को मेरे हो दोबारा
तुम ने ही गहरा किया है हल्का सा नजारा
किस्मत की बाते तो होगी ही किस्मत में
हम ने चंद अल्फाजो से नवाजा है उल्फत में
उल्फत में तु है मेरी जैसे राख में अंगारा
तुम ने ही गहरा किया है हल्का सा नजारा
(डॉ. रविपाल भारशंकर)
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