सनम दिल के घरोंदे में अजब सा नूर जलता है
मेरी आँखों में अब तक यूँ तुम्हारा ख़्वाब पलता है
कभी तुम साथ चलती थी, तो दुनिया आंह भरती थी
जो अब तन्हा ही निकला तो, ज़माना साथ चलता है
''कवि अभिषेक ओमप्रकाश मिश्रा''
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Beautiful Lines, perfect by all means....................