दौड़ती भागती जिंदगी जैसे थम सी गयी ।
अचानक सच मेरे सामने आकर खड़ा हो गया ।
और एक दम बोला तुम्हारा समय पूरा हो गया है ।
मेने साहस के साथ पूछा आप कौन है ।
उसने कहाँ में तुम्हारा काल हुँ।
मेने कहाँ मेरा समय अभी नहीं हुआ है।
पर काल कहा मानने वाला था ।
मेने कुछ पल समय का मुझे दे दो।
मेने भलाई कर्मों की दुहाई दी।
भगवान के नित्य कर्म व्रत और पूजा की ।
बड़ो के सम्मान की नियम से पालन करने का तर्क ।
इन सब के बदले में जिंदगी के कुछ पल मांगे ।
पर काल कहाँ मानने वाला था ।
काल समय ने कहाँ में कुछ पल
जिंदगी के दे देता यदि आपने
कुछ पल अपनी भलाई के लिए दिए होते तो.
जो तुमने नहीं किया इस लिए में असमर्थ हुँ ।
असहाय आत्मा के पास कोई और रास्ता नही था ।
सिवाय काल समय की बात मानने और उसके साथ चलने के.।
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यह उन लोगों पर अच्छा कटाक्ष है जो जीवन भर अपने स्वार्थ में लिप्त रहते हैं. कभी परमार्थ के रास्ते पर नहीं चले और न किसी का कभी भला किया. अद्वितीय रचना.