'भारतीय सामूहिक राजनैतिक दल' की प्रस्तुति
इक ऐतिहासिक, दस्तावेजी, कमर्शियल फिल्म
फिल्म का नाम: - 'अनामत ' भीख मांगने का नया अंदाज़
नाम: - पूरा नाम लिखने की ज़ेहमत ना उठाये
सिर्फ 'सरनेम' सही ढंग से बड़े अक्षरों में लिखें
ताकि भविष्य में सर्टिफिकेट में कोई नुक्स ना निकलें
उम्र: - इसका लिहाज नाही रक्खे!
खटिया पे पड़ा खसियाता बूढ़ा भी
व्हीलचेर में रेंगता हुआ आ सकता है!
जात: - मेइन रोल इसी का है, तो झुण्ड में आना ज़रूरी है
इसीलिए चौकन्ने रहे, की एक झुण्ड की भेड़ किसी और झुण्ड में घुस ना जाए
यदि ऐसा कत्ले-आम हो
तो उसकी जिम्मेवारी अपने अपने इलाही की है
जो झुण्ड में सबसे आगे झंडा पकडे मोर्चा सम्भाल रहा है
आप चाहे तो उसकी छाती फाड़ के ईमानी-बेईमानी सब निकाल सकते है,
क्यूंकि यह एक एक्शन फिल्म भी है!
कॉस्च्यूम: - अति आवश्यक बाबत है, तो भेड़ो का सारा झुण्ड
अपने अपने परंपरागत वस्त्र पहन कर आये
जैसे यदि आप 'पटेल ' हो, तो
सफेद कुर्ता-धोती-पाजामा या लहंगा
पाँव में चमडे की चप्पल
और
ज़मीन जायदाद के काग़ज़ लटकाकर आये
और यदि आप
राजपूत, गुर्जर या जैन है, तो
उंगलियो में प्लेटिनियम (सफेद सोना) की अंगुठिया
गले में, सोने में ढाले ' शेर की मुद्रा ' वाले लॉकेट
हाथो में ज़ंग खाई पुरखो की तलवारें
माथे पर कुमकुम या चंदन का टिका
और यदि किसी माता का मंदिर(उमिया माता) बनाया है तो
उसकी पताका बैनर बनाकर लाये
क्यूंकि मेईन रोल इसी हैसियत से
परसेन्टेज के हिसाब से बाँटा जाएगा
भाषा: - प्रादेशिक एडल्ट भाषा
गीत संगीत: - 'आधा अन्न, आधा नाम
लेके रहेंगे अनामत का दान '
इस मुखड़े को
लोक संगीत में स्वरबद्ध करें
समय: - जब तक डिरेक्टर को आपकी अदाओं से
संतुष्टि ना हो तब तक आते रहे
गाते रहे, चिल्लाते रहे
और अन्य इलाकों की अपनी जात की भेड़ों को जोड़ते रहे
फिर, उनसे भी भीख मांगने के
नए तौर तरीके ईजाद करवायें
अनुभव: - पौराणिक युग में
यदि आपके पुरखों ने
किसी राजा, मुखीया, सरपंच, या लाला के वहां
मजदूरी की हो
किसी ने मंदिर में आने से रोका हो,
स्कूल की किताबे, विद्धवान स्कूल मास्टर ने जलाई हो,
मुह पर आधा सेर मुता हो,
कुत्तों और सुवरों जैसा अपमान किया हो,
किसी उची जमात (दलितों और आदिवासियों) ने आपकी पूरी बस्ती
बुढ़ों, बच्चों, बीवी समेत जलाई हो
तो उस बेचारेपन और बेगुनाही के ऐतिहासिक दस्तावेज
इस फॉर्म के साथ जोड़ दे
क्यूंकि 'अनामत' के पर्सेंटेज बढ़ाने में सरकार को दिक्कत न हो
और विपक्ष को इसकी चुगली करने का मौका ना मिले
प्रोड्यूसर-खर्च: - देश के कुछ मजबूर और मज़लूम बाशिंदे
जिन्हे राजनीति के अर्थ ' तमाश या नौटंकी' मालूम है
उनकी जेबों पर टैक्स की कानूनी पट्टी बांधकर
छीना जाएगा
ख़ास सुचना: - आने जाने, खाने पीने की जुगाली खुद करनी होगी
अपनी अपनी मोटर सायकिल, गाड़ियाँ, विमान या हेलीकॉप्टर में आ जा सकते है (park at owner's risk)
आस पास की होटेलों में
डिस्काउन्ट पर खाना नसीब हो जाएगा।
खुले मैदान में, रोड पर, चौराहों पर
ऑडिशन होगा,
तो, राहगुज़र,
कलाकारों की कला का लुफ़्त मुफ्त में उठा सकते है।
अखबारवालों के लिए
मुख़्तलिफ़ एर-कंडीशन्ड कॉरिडोर बनाया है
वहां से अदाकारों की अदाओं की तस्वीरें निकाल सकते है
कुछ गरमा गरम real action scene
जैसे
बसें जलाना, रेल की पटरियां उखाड़ना, पुतलें जलाना, पुलिस से मुठ भेड़
बीना vfx (visual effects) के फिल्माये जाएंगे
जो भी पत्रकार बड़ी सिफत और स्फूर्ति से
ये खूबसूरत द्रश्य अपने केमेरे में कैद करेंगे
उन्हें फिल्म के अंत में अवार्ड से सन्मानीत किया जाएगा
स्थल: - भारतीय संसद भवन और गुजरात विधान सभा का खुला चौराहा,
सरदार पटेल जी, डॉ.आंबेडकरजी और गांधीजी के पुतले के इर्द गिर्द।
फिल्म क्रिटिक्स का मानना है की
ये फिल्म पचास सालों से वक्त वक्त पर
हिंदुस्तान के अलग अलग
हिस्सों में फिल्माई जा चुकी है
आगे भी नए नए इलाकों में
भिन्न भिन्न जात के झुण्डों के साथ
फिल्माई जायेगी
और एक दिन
ये फिल्म 'सारे ऑस्कर ' जीत लाएगी! !
तो आईये
'भारतीय सामूहिक राजनैतिक दल' की इक
ऐतिहासिक दस्तावेजी कमर्शियल फिल्म का ओडिशन दे।
वैशाख राठोड
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