प्रेम सुधा, तो पी ली तुमने, मदमस्त पवन सा, स्वयं को कर डालो,
अब तो हृदय से, विचार, विचारों,
जीवन जिसमें गरल मिला है, उसको अब, अमृत कर डालो,
अब तो हृदय से विचार, विचारों,
विचरो गगन मैं तुम पंछी सा, गगन को भी धरा कर डालो,
अब तो हृदय से विचार, विचारों,
ठहरो नहीं तुम अब पंथी, विफलता का विचार तुम गारो,
अब तो हृदय से विचार, विचारों,
जीवन था ये, मकड़ी का जाला, इसे प्रेम से शुद्ध कर डालो,
अब तो हृदय से विचार, विचारों,
निहारो तुम अपनी सखी को, जीवन सारा उस पर वारो,
अब तो हृदय से विचार, विचारों,
चरण धूलि थे, पहले तुम, स्वयं को अब, अम्बर कर डालो,
अब तो हृदय से विचार, विचारों,
मधु तो कोई, जीवन नहीं होता, पर प्रेम के दम पर, मधु कर डालो,
अब तो हृदय से विचार, विचारों,
गरल (poison)
पंथी (traveler)
गारो (leave)
निर्वान बब्बर
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