जिंदगी तुझे सुलझा लूंगा ! Poem by Anant Yadav anyanant

जिंदगी तुझे सुलझा लूंगा !

वो रातों में रोना, अपनी बात किसी को नही कहना,
प्रयास करते करते दिन का बीत जाना,
रातों में खुद को नकारा कहना,
तुझसे नही हो पाएगा, यह बात कह अपने रूठ जाना ।
ऐ जिंदगी कर परेशान मैं भी तुझे सुलझा लूंगा।


अगली सुबह नई रह पर चलना, यूं हरदम की तरह मुस्कुराना
लोगो को देख के कहना इसकी जिंदगी कितनी आसान है
वह दिखावटी हसी देख बोलना कितना हसमुख है।
ऐ जिंदगी कर परेशान मैं तुझे सुलझा लूंगा।

अपनी परेशानी का प्रचार नही करना,
दूसरों की तरह सबके सामने चिल नही रहना
बस खुद से लडे जाना, न अपनी तकलीफ किसी से बताना,
परेशान नही करना, जैसा दिखता हूं वैसा हूं नही,
बार बार यही कहना, न सुलझे सवालों को सुलझाना
ऐ जिंदगी तुझे जरूर सुलझा लूंगा ।

सुना है मुस्कुराने वाले लोग अंदर से टूटे होते हैं
जनाब वो तकिए में अपनी आवाज तबाये रोते हैं,
यही करते हैं सायद, क्योंकि परेशान सा रहना
एक फिक्स शेडल्ड में बंधे रहना, अपने को हजारों से तुल्य करना,
खूबियां नही खामियां गिनाए रहना,
जेईई एग्जाम, नीट एग्जाम के साथ जिंदगी का एग्जाम
खुद के सवालों में फसे रहना ये क्या चल, क्यों चल रहा,
मुझमें कोई कमी तो नहीं, मुझे वो मिला नही जो चाहता हूं,
क्यों मैं चेहरे पर हसी रखे अपने आप में झूठा बन रहा हूं ।

ऐ जिंदगी बहुत हुआ रोना, खामियां देखी बहुत
अब खूबियां बाकी है, , कैसा भी हाल हो,
कठिनाइयां लाए जो जिंदगी, मैं कभी टूटूंगा नही,
अपने आप से प्यार करना सीख लूंगा,
घरवालों को मानना सीख लूंगा,
चेहरे से ही नही दिल से मुस्कुराना सीख लूंगा,
जितनी भी कोसिस करनी पड़े! ये जिंदगी
तुझसे लड़ना सीख लूंगा,
कितनी उलझने क्यों न हो जिंदगी
ये जिंदगी मैं तुझे जरूर सुलझा लूंगा

By Anant yadav (Author of Book Apni zhalak ye zindagi)

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