अपने दिल की बात सुनले, मेरे दिल की बात कर,
काली सुबह भूलकर तू, सुन्हेरी सुबह को याद कर,
बनके चंचल तू पवन सी, मेरे दिल के आँगन वास कर,
है ज़माना अपना दुश्मन, दोस्त अपने हैं किधर,
कब ज़माना सुनता दिल की, चल ख़ुदा से बात कर,
थाम ले तू अपने आसू, मोल इनका कोन समझेगा इधर,
मन मैं अपने बसाले मुझको, मेरे मन मैं राज कर,
ख्वाब अपने हक़ीक़त भी होंगे, हस ज़रा ये मान कर,
दिल ही उस ख़ुदा का घर है, बस दिल को अपने साफ़ कर,
अपना ज़माना आएगा फिर, वक़्त का दामन थाम कर,
निर्वान बब्बर
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