कविता के बारे में Poem by Arvind Srivastava

कविता के बारे में

..कि जैसे समय स्याह अंधेरे में भटक चुका था
कि जैसे एक गिलहरी
शिकारी कुत्ते की गिरफ़्त मे आ चुकी थी
कि जैसे किसी निश्छल-कलकल बहती धारा में
धधक उठी थी आग अचानक
कि जैसे एक तिलचट्टा उलट चुका था धरती पर
सड़क पार करते-करते एक बच्चा
कुचला गया था अभी..

जब बाज़ार की भाषा में
आहिस्ते से पूछा था तुमने
कि कविता के अलावे
और क्या करते हो?

▪️अरविन्द श्रीवास्तव

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
यह कविता 'विश्व कविता दिवस' के अवसर पर लिखी गयी.. कविता का अंत मार्मिक है! जिसे पाठक पसंद करेंगे ।
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