आया बसंत
बाग बगीचे
रंगों में सराबोर
आया बसंत
हटा पहरा
छंट गया कोहरा
आया बसंत
धरा की छटा
देखें सूरज चंदा
आया बसंत
धानी चुनर
पृथ्वी ओढ़ी सुघर
आया बसंत
सज के बैठी
धरती फूलों लदी
आया बसंत
जुटी बहारे
स्वागत करने को
आया बसंत
मन बहके
फूलों की महक में
आया बसंत
ऋतू बदली
ठिठुरन का अंत
आया बसंत
मंगल गीत
गाने लगे हैं पंछी
आया बसंत
बजाते ताली
पत्ते पेड़ों की डाली
आया बसंत
हर्षित मन
खिले हैं गुलशन
आया बसंत
- एस० डी० तिवारी
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Ayi basantpanchmi....Beautiful poem.....thank you to sharing :)