बरहम से खाव मेरे फिर से जुड़ने लगे
आकर के गम के झौंके वापिस मुड़ने लगे
पहाड़ों की हसीन बारिश रिमझिम फुहार -सी
शवनम के जैसे कतरे दिल पे गिरने लगे
गम का जिक्र करते आ पहुंचा मै कहाँ पे
बादल मस्त फलक से जमीन पर उतरने लगे
भवरों को देख के कलियाँ निखार पाए
इस मस्त मौसम में फूल दिल में खिलने लगे
पहाड़ों की कोई रानी बर्क -सा लिए तव्सुम
ऐसा लगे जैसे 'अक्स' पे हंसने लगे
मिलाप सिंह
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