Barham Se Khav Mere Poem by milap singh bharmouri

Barham Se Khav Mere

बरहम से खाव मेरे फिर से जुड़ने लगे
आकर के गम के झौंके वापिस मुड़ने लगे

पहाड़ों की हसीन बारिश रिमझिम फुहार -सी
शवनम के जैसे कतरे दिल पे गिरने लगे

गम का जिक्र करते आ पहुंचा मै कहाँ पे
बादल मस्त फलक से जमीन पर उतरने लगे

भवरों को देख के कलियाँ निखार पाए
इस मस्त मौसम में फूल दिल में खिलने लगे

पहाड़ों की कोई रानी बर्क -सा लिए तव्सुम
ऐसा लगे जैसे 'अक्स' पे हंसने लगे


मिलाप सिंह

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
romantic shayari of poet milap singh written in pure natural rainy season of hill area.
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