स्वर्ग से आयी नन्ही परी
उन्माद के आंसू बह निकले
जब रुनझुन करती फिरती थी
उम्मीदों के आंसू बह निकले
दौड़ के आती लिपट जाती तब
प्यार के आंसू बह निकले
पढाई की जब बात आई तो
मंहगाई से आंसू बह निकले
साइकिल को ना जो किया तो
मासूम के आंसू बह निकले
जब जब उसको दर्द में देखा
दर्द से आंसू बह निकले
बेटी जब जवान हुई तो
एहसास के आंसू बह निकले
एक बार जब घर देर से आयी
मां के आंसू बह निकले
हो जाएगी परायी सोचा तो
जजबात के आंसू बह निकले
द्वार पर जब बारात आई तो
खुशियों के आंसू बह निकले
घर से उनकी बिदाई हुई तो
जुदाई के आंसू बह निकले
पराई हो ससुराल चली तो
तन्हाई के आंसू बह निकले
फ़ोन पर जब हेलो बोली
बेताबी के आंसू बह निकले
रचयिता - एस. डी. तिवारी
sdtiwari1 @ gmail
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