गहन उदासी, ज्वाला जैसी,
झुलसाए इस तन - मन को,
प्रेम पयासी, राधा प्यारी,
तरसे श्याम के दर्शन को,
शीतल हवा भी, अगन लगाए,
छाया भी गर्म, अधीर हुई,
नयन हैं प्यासे, राह सजा के,
बैठे हैं श्याम पग छूने को,
हरियाला आँचल तारों से सजकर,
राह निहारे मोहन की,
श्री राधे कितनी प्रतीक्षा आज करें,
काया को कितना निडाल निढाल करें,
चेहरे का चाँद अमावस हुआ,
मुरली की तान सुनाओ रे,
अब तो बैरी दरस दिखाओ,
बिन तुम्हरे कुछ ना भाए रे,
है हरी, है गोपालप्रिया, है हरुशिकेश, है निर्गुण,
अब तो दरस दिखाओ रे,
तुम्हरे दरस को प्यासी है राधा,
दरस का अमृत पान कराओ रे,
निर्वान बब्बर
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