(1)
यूँ वोटर भाग्य विधाता है,
पर नेताओं से लुट जाता है.
मेरी राम कथा सुनियेगा
सुनते सुनते सिर धुनियेगा
सभी दिशायें शंकालू हैं,
प्रश्नों के अनगिन भालू हैं.
पतवारों के बिना है नैया,
लहरों से अनजान खिवैया.
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(2)
चोट तो कोई ख़ास नहीं,
जनता को विश्वास नहीं.
अपने लुटने की लाचारी,
चोट करे दिल पर भारी
ऊँचे सबसे जन गण मन
उनसे ही सौतेलापन.
नेता नेता भाई भाई,
ज्यादातर हैं निरे कसाई.
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(3)
वोटर क्या चाहता है?
सेवा करो, व्यापार नहीं,
इससे कम स्वीकार नहीं.
सुख में दुःख में एक रहेंगे,
मरते दम तक नेक रहेंगे.
वोटर का अधिकार यही है,
मनमाफ़िक हथियार यही है.
तेरा मेरा क्यों करते हो,
इन झगड़ों में क्यों पड़ते हो.
A truthful description of an ugly politics.....................
I am so sorry for not having translated this poem into English, Seema ji. I will surely try to do that.
Wah wah सेवा करो, व्यापार नहीं, इससे कम स्वीकार नहीं..................Badhiya....Neta ko yeh baar baar yaad dilate rehna hoga.....Rajnishji...10+++
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I would like to translate this poem
awesome lines....... मेरी राम कथा सुनियेगा सुनते सुनते सिर धुनियेगा सभी दिशायें शंकालू हैं, प्रश्नों के अनगिन भालू हैं. पतवारों के बिना है नैया, लहरों से अनजान खिवैया.