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प्रातःकी बेला
बच्चों की पीठ पर
बस्ते का बोझ
भोर होते ही
गाय रम्भाने लगी
दूध तैयार
प्रातः सुदूर
ऊपर को उठता
आग का गोला
आज सुबह
सूरज नहीं उगा
घने बादल
खिलखिलाते
गुड़हल के फूल
किरणे देख
होते सवेरा
पक्षी भी उड़ चले
छोड़ बसेरा
एक उंगली
सामने की और तो
तीन अपनी
मन को जीता
तूने जग को जीता
hat
जिसकी चाह
सबसे न्यूनतम
बड़ा वही है
मरू के जैसा
विरहन का मन
जल की प्यास
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hindi haiku ghaas 2
खिलौना लेगा
दूसरे के हाथ का
बच्चे की जिद्द
बच्चा रोयेगा
पर घर जाकर
गिर पड़ा था
कोई भी गाड़ी
माँ की गोद के आगे
शिशु को व्यर्थ
दर्द की चीख
शिशु के रुदन में
घुल के लुप्त
बाहर आई
बालक की रूलाई
अति बधाई
हर्ष समाया
नया अतिथि आया
घर में स्वर्ग
न हो अगर ghar men
बालक की चिल पों
आँगन सूना
उड़ा रहा है
उसकी पतंग को
गली का खम्भा
इतना खुश
मानो खजाना पाया
कटी पतंग
लपेट रहा
अब बची डोर को
चरखी पर
उदास बच्चा
ढह गया उसका
मिटटी का किला
शिशु का खिंचा
कागज पर गोला
पृथ्वी का नक्शा
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hindi haiku bachcha
खिलौना लेगा
दूसरे के हाथ का
बच्चे की जिद्द
बच्चा रोयेगा
पर घर जाकर
गिर पड़ा था
कोई भी गाड़ी
माँ की गोद के आगे
शिशु को व्यर्थ
दर्द की चीख
रोने की आवाज में
घुल के लुप्त
तितली आएं
अतः खुले रखते
फूल पंखुड़ी
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