हमको सब बतलाओ तुम (HUMKO SAB BATLAO TUM) Poem by Nirvaan Babbar

हमको सब बतलाओ तुम (HUMKO SAB BATLAO TUM)

Rating: 5.0

है गर्मी कैसे इस सूरज मैं
कैसे बना ये पानी है,
कहाँ से बादल पानी लाते,
कैसे पवन मैं पानी है,
कैसे पहुंची पानी मैं ऑक्सीजन
कैसे जम जाता ये पानी है,
कैसे पनपा धरती पे जीवन
कैसे बने हम प्राणी हैं,
हमको सब बतलाओ तुम,
क्या, कैसे, ये कहानी है,

है कैसे पवन मैं गति सुहानी,
मौसम कैसे बदलते हैं,
कैसे जलचर सांस हैं लेते,
कैसे जलचर तैरा करते हैं,
कैसे हम सब श्वास हैं लेते,
कैसे हम सब चलते हैं,
कैसे पंछी हवा मैं उड़ते,
कैसे नित नए आयाम पनपते हैं,
हमको सब बतलाओ तुम,
क्या, कैसे, ये कहानी है,

हैं कैसे हवाई जहाज़ ये उड़ते,
कैसे मोटर गाड़ियाँ चलती हैं,
कैसे फ़ोन पे हम बातें हैं करते,
कैसे मोबाइल बिना तारे के चलते है,
कैसे टीवी मैं दिखती, चलती फिरती तस्वीरें
कैसे रेडियो से आवाजें निकलती हैं,
कैसे कंप्यूटर काम हैं करते,
कैसे सेटेलाईट काम सब करते हैं,
हमको सब बतलाओ तुम,
क्या, कैसे, ये कहानी है,

कैसे बना ये वायुमंडल,
कैसे ब्रह्माण्ड मैं तारे बनते हैं,
कैसे गृह अस्तित्व को पाएं हैं,
कैसे बनीं आकाशगंगाएं है,
क्यों, कैसे, कब सब कुछ हुआ,
ये कैसी, किस की चतुराई है,
हमको सब बतलाओ तुम,
क्या, कैसे, ये कहानी है,

निर्वान बब्बर

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