Judgment (Originally Written by Leslie Coulson)
फ़ैसला (मूल रचना: लेस्ली कूल्सन)
हिंदी अनुवाद रजनीश मंगा द्वारा
ऐसा ही सही, ईश्वर, तुम जो दोगे मुझे मंजूर होगा
और ख़ुशी से वह लौटा दूंगा जो मुझसे वापिस चाहोगे
मेरे लिये तुमने चुने हैं बंजर और उबाऊ दिन, पर मैं
बिना कोई प्रश्न किये तुम्हारे आदेश का पालन करूँगा
मैं इसे तर्क की छलनी से भी नहीं छानना चाहूँगा
तुम्हारी सोच का दायरा हमारे तर्कों से कहीं ऊपर है
हम बेचारे मिटटी के पुतले इन बातों को क्या समझें
क्योंकि तुम वैसे ही ढालोगे जैसा तुम्हें अच्छा लगेगा.
मगर जब मेरे दुःख भरे झुलसाते दिन ख़त्म होंगे
और मेरी मिटटी को सजा कर दफ़्न करने ले जायेंगे
तब मेरी रूह सोने से बने तुम्हारे द्वार पर पहुंचेगी
तब मेरी रूह ऊपर उठेगी और तुम्हें आवाज़ लगायेगी
तुम बताओगे कि ऐसा क्यों हुआ और जैसा तुम उत्तर दोगे
वैसा ही मैं तुम्हारा फैसला करूँगा, ईश्वर, न कि तुम मेरा.
A brilliant translation has been made by you on the poem -Judgement - originally written by Leslie Coulson. I appreciate much...ऐसा ही सही, ईश्वर, तुम जो दोगे मुझे मंजूर होगा और ख़ुशी से वह लौटा दूंगा जो मुझसे वापिस चाहोगे....thanks for sharing.
एक शे'र नज़र के सामने आ गया: महशर का खैर कुछ भी नतीजा हो ऐ 'अदम' कुछ गुफ्तगू तो खुल के करेंगे ख़ुदा के साथ (सैयद अब्दुल हामिद 'अदम')
Another masterpiece, such a beautiful translation it just flows effortlessly, sahaj as they say.
Bahut badiya anuvad kiya aapne Rajnish Ji.... Hamare samjh se pare hai ki hum hamare bananewale ko Judge kare lekin Kavi ki kalpana hai, Kash hamein ye avsar milta ki hum jaan pate ki hamare sath jo hua woh kyun hua? ? 10+++
एक शे'र नज़र के सामने आ गया: महशर का खैर कुछ भी नतीजा हो ऐ 'अदम' कुछ गुफ्तगू तो खुल के करेंगे ख़ुदा के साथ (सैयद अब्दुल हामिद 'अदम')
Indeed judgement day is there but this has a different version. Thanks for translating.
शुभ संध्या गुरुजी, . आभार आपका जो आपने इतनी बेहतरीन रचना का बेहतरीन अनुवाद किया और हमे ईश्वर और उसकी मंशा तथा मनुष्य और उसकी मंशा से अवगत कराया