हममें -तुममें सँबँध वही,
जैसे हों शब्द-अर्थ;
जैसे जल-तरँग,
जैसे भाव-उमँग,
जैसे भानु-किरण,
शीतलता-वारि,
भला अब,
कहाँ जाओगे, कृष्ण-मुरारि!
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem