हममें -तुममें सँबँध वही, Lovel Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हममें -तुममें सँबँध वही, Lovel

हममें -तुममें सँबँध वही,
जैसे हों शब्द-अर्थ;
जैसे जल-तरँग,
जैसे भाव-उमँग,
जैसे भानु-किरण,
शीतलता-वारि,
भला अब,
कहाँ जाओगे, कृष्ण-मुरारि!

Sunday, April 22, 2018
Topic(s) of this poem: love
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