मेरा जीवन (MERA JEEWAN) Poem by Nirvaan Babbar

मेरा जीवन (MERA JEEWAN)

रोते - रोते, मेरा जीवन सूखे, मिटटी मैं मिल जाए रे,
शाम - सवेरे उसकी यादों के घन आके, आंसू हीं बरसाएं रे,

बहते - बहते जीवन धारा, थक हार, सूख ये जाए रे,
दूर श्रितिज पर सूरज डूबे, जीवन रैन हो जाए रे,

जीते - जीते जीवन, उसके बिन, पतझड़ सा हो जाए रे,
बिन उसके.............. जीवन की गाग़र, इक दिन फूट ही जाए रे,

कितना संभालें जीवन अपना, बिन सम्भले, बढता जाए रे,
मृत्यु भी अब, हमसे खेले, मांगे पर ना आए रे,

निर्वान बब्बर

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