आ जाओ की सरो शाम का मोहताज़ नहीं हूँ मैं,
गुज़रा है थोडा वक्त सही, उम्र दराज़ नहीं हूँ मैं,
खामोखा बिन कहे दुरिया न बढाओ हमसे,
मालूम हमको भी हैं दिल-नवाज़ नहीं हूँ मैं.
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आये हो पर कब जाओगे इसका पता नहीं हमको,
लग जाओ गले एक बार नाराज़ नहीं हूँ मैं,
ऐसे न देखो हमें इतने हैरतज़दा होकर अब,
वही शायर वही इंसान हूँ, एजाज़ नहीं हूँ मैं.
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देखा है बड़ी मुद्दत के बाद तुम्हे अब देखने दो,
माना कि आंसू हूँ पर भूला एहसास नहीं हूँ मैं,
रखने दो सीने पर सर, कंधे पर हाथ ज़रा एक बार,
मुक़म्मल हूँ तुम्हारे दामन में, अब बद-हवास नहीं हूँ मैं...
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मुक़म्मल हूँ तुम्हारे दामन में, अब बद-हवास नहीं हूँ मैं
आ जाओ की शरो शाम का मोहताज़ नहीं हूँ मैं,
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दिल-नवाज़= Attractive
एजाज़= Wonder/miracle
Thanks Pintu.... For valuable comments