Muskan (Hindi) Poem by S.D. TIWARI

Muskan (Hindi)

मुस्कराई जब तिरछे देख गुजरिया
छबीली मुस्कान सामने से आई।
दिल के भीतर झांक जो मुस्कराई
तो कटीली मुस्कान दिल में चुभाई।

दिल के दर्द जब दिखाया उसको
उसने हठीली मुस्कान से भरमाया।
ईर्ष्यालु मित्र ने देखकर दर्द में
कुटिल मुस्कान फेंक कर चिढ़ाया।

हमने भी उत्तर दिया मुस्कराकर
एक जटिल मुस्कान से दर्द छुपाकर।
कसे होंठ, बेटा आया मुस्कराता
सफलता की बात बताया इतराकर।

सुनकर पडोसी मुस्कराया आधा ही
और ऊपरी मन से बोला बधाई।
शोरूम में सुन्दर सेल्स गर्ल खड़ी
बनावटी नकली मुस्कान से बनाई।

गोदी में उठा चुम लिया गालों पर
जब कोई नन्हा बालक मुस्कराया।
उसकी भोली मुस्कान ने लुभाया
तो सादी मुस्कान माँ ने मुस्काया।

गर्व से मुस्कराता दृढ व असल
किसान देखकर फसल लहलहाती।
भरपूर फसल काट जब घर लाता
संतुष्टि भरी मुस्कान होठों पर आती।


- एस डी तिवारी

Tuesday, November 19, 2013
Topic(s) of this poem: hindi
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