Nazaren Milao Poem by Adarsh Vaibhav

Nazaren Milao

Rating: 2.5

इस कदर क्यूँ इशारें कर रहे हो
ज़रा साफ़ बताओ क्या बता रहे हो

नागवार गुजर तो कह दूंगा
देख कर क्यों बस हँसे जा रहे हो

कभी तिरछी नज़र कभी ज़ुल्फ़ों नीचे
नज़रें मिलाओ बस देखे जा रहे हो

पास आ रहे हो या बहाने बना रहे हो
मैं भी जानूं आजकल इतना क्यूं इतरा रहे हो

शिकायत है तो दूर करो यूँ ना वक़्त बर्बाद करो
बेकार शर्म से चेहरा लाल किये जा रहे हो

हाथ मिलाओ बाहों में आओ
या बस ऐसे ही पाँव सटा रहे हो

Saturday, March 15, 2014
Topic(s) of this poem: love
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