हे नीलश्यामघन हरिआनन! हम करतेReligio Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हे नीलश्यामघन हरिआनन! हम करतेReligio

हे नीलश्यामघन हरिआनन! हम करते आपका सुभग ध्यान अभिराम।
आप कृपा करें देव! हो हृदय कमलासीन, श्रीमहालक्ष्मी दर्शन ललाम।।
पीत कँचन हरित प्रभायुत बदनकँज, कनक रजत सुशोभित हार।
सहस्त्रादित्यचँद्र सम आभा, दें हमें दर्शनाशीष उपहार।।
नील पीत वण^मिल होते हरितवर, जानते आपके अनन्य परिजन।
'नवीन'नित्य नव कृपा बरसाइये, मँगलमय हो सबके जीवन।।

Sunday, April 22, 2018
Topic(s) of this poem: religious holiday
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