फूली सरसों देख कर, खिला किसान का मन
ऋतु महंत बसंत अंत, भरेगा घर में अन्न
भरेगा घर में अन्न, और झूमेंगी खुशियां
नये परिधान पहन, मेला जाएगी मुनिया
बढ़ी पेंग स्वप्न की, कुटुंब की गगन छू ली
अच्छी फसल की आस, लिये मन सरसो फूली
एस० डी० तिवारी
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कुंडली शैली में और आलंकारिक भाषा में लिखी आपकी इस रचना की जितनी तारीफ़ करें कम है. धन्यवाद, तिवारी जी.