सूर्य वंदना
सूर्य देव! हे जीवन कारक
जीवों के बहु कष्ट निवारक;
तुमसे तिमिर, तुमसे ही घाम
करते हैं हम तुमको प्रणाम।
उषा और प्रत्युषा के स्वामी
ब्रह्माण्ड के तुम अंतर्यामी;
ज्ञान तुम्हीं, विज्ञान तुम्हीं हो
जीवों का वरदान तुम्हीं हो;
रात तुम्ही से, प्रभात भी तुमसे
गतिशील है बात तुम्हीं से;
सम्पूर्ण सृष्टि का तुम प्रकाश
तुमसे ही है जीवन की आस;
तुमसे ही जग है हरा भरा
तुमसे ही जगती बसुंधरा;
तुमसे उत्पन्न वेदों का ज्ञान
तुम नक्षत्रों में श्रेष्ठ प्रधान;
ज्ञान रश्मि मन मानस भरना
सुखमय उज्वल जीवन करना;
प्रकाशमान तुमसे ब्रह्माण्ड
हे सूर्य देव! तुमको प्रणाम।
(C) एस० डी० तिवारी
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