तेरी गली मेरी गली एक ही गली तो है,
तोड़ो चाहे दिल मुलाकात निश्चित है,
चिट्ठी फोन हाथों के इशारे बंद कर देना,
नजरों से ही मगर बात निश्चित है;
रातें वो मिलन वाली, बातें वो मिलन वाली,
याद आएगी तो बेकरारी निश्चित है,
मिलने की टीस जब भी तुझे सताएगी,
छा जाएगी तुझपे खुमारी निश्चित है;
बाहें फैलाए खड़ा कोना वो गली का देखो,
होठों पे सजाये तेरी आहों का संगीत है,
जानता है वो भी किसी पल को मिलन होगा,
और वही कोना होगा ये भी निश्चित है;
लूज कंट्रोल तेरा रातों में ही होता है,
आज रात फिर होगा ये भी निश्चित है,
आ जाए जो गुड सिचुएशन कभी तो फिर,
बोल देना मेरा इकरार निश्चित है।
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बहुत बढ़िया उद्गार व प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति. यह एक उत्तम कविता है, मित्र. निम्न पंक्तियों में संगीत और मिलन पुल्लिंग हैं अतः इन्हें कोष्ठ के अनुसार रखा जाना चाहिए अन्यथा ये पढ़ने में खटकते हैं: होठों पे सजाये तेरी आहों की संगीत है (होठों पे सजाये तेरी आहों का संगीत है) जानता है वो भी किसी पल को मिलन होगी (जानता है वो भी किसी पल को मिलन होगा)