दिल तो एक पंछी है,
जब उड़ता है तो,
उड़ ही जाता है।
न पता है रास्ते का,
न पता है मंजिल का,
बस उड़ जाता है।
कब, कहाँ, कौन,
उसकी डोर पकड़ ले
उसे पता नहीं होता।
दिल तो एक पंछी है,
जब उड़ता है तो,
उड़ ही जाता है।
हमसे पूछो हमने भी,
ये पंछी उड़ाई है,
माना उसने डोर पकड़ी नहीं,
फिर भी दिल के,
आँगन में उसके,
हमने गिराई है।
दिल तो एक पंछी है,
जब उड़ता है तो,
उड़ ही जाता है।
उस से पूछूंगा एक दिन,
ये पंछी मेरी है,
जो तुम्हारे आँगन में गिर आयी है,
संभाल लो इसको नहीं,
तो मेरी जग हंसाई है।
दिल तो एक पंछी है,
जब उड़ता है तो,
उड़ ही जाता है।
Copyright © 2012 Sanjeev Kumar
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