Tu Jivan Hai (तू जीवन है) Poem by Vivek Tiwari

Tu Jivan Hai (तू जीवन है)

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तू जीवन है,
प्रान शक्ति है,
मेरे अर्न्तमन की ज्योति है तू।

मेरी धडकन,
मेरी साँसेँ,
मेरे प्राणो की अनुभूति है तू॥

रग-रग की मेरे प्रेम धार
उन पावन लहरोँ का सिँगार
उन लहरोँ की चमचम काँति है तू॥

दिल मेरा मंदिर
नैन पुजारी
मेरे मंदिर की शाश्वत मूर्ति है तू।

तुझको चाहूं
तुझको पूजूं
मेरे साधक मन की शांति है तू॥


विवेक तिवारी

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This poem is for that very eternal Goddess who vitals the whole round universe and btithers it with pleasures.
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Vivek Tiwari

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Gaura (R.S.) Pratapgarh
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