तू जीवन है,
प्रान शक्ति है,
मेरे अर्न्तमन की ज्योति है तू।
मेरी धडकन,
मेरी साँसेँ,
मेरे प्राणो की अनुभूति है तू॥
रग-रग की मेरे प्रेम धार
उन पावन लहरोँ का सिँगार
उन लहरोँ की चमचम काँति है तू॥
दिल मेरा मंदिर
नैन पुजारी
मेरे मंदिर की शाश्वत मूर्ति है तू।
तुझको चाहूं
तुझको पूजूं
मेरे साधक मन की शांति है तू॥
विवेक तिवारी
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