Usne Patther Ko Puja Poem by milap singh bharmouri

Usne Patther Ko Puja

उसने पत्थर को पूजा खुदा पा लिया


उसने पत्थर को पूजा खुदा पा लिया
हमने इन्सान को पूजा धोखा मिला

दिल के आईने में मुड़ के जो देखा
अक्स उसमे 'मिलाप' अपना रोता मिला

मुफलिसी ने उसे घेर रखा था ऐसे
हर मोड़ पर बोझ बेचारा ढ़ोता मिला

अजीब अजनबी थी वो विरान जगह
मुक्कदर मेरा मुझे जहाँ सोता मिला

कुछ ऐसा आलम था तेरे शहर का
हर गली मोड़ पर खड़ा धोखा मिला


मिलाप सिंह

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