Shobha Khare Poems

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1.
दर्पण

जैसा मन वैसा मनुज दर्पण यह संसार
अपनी ही छवि देखता इस मे बारंबार
करुणा तो उपचार है अति भावुकता रोग
कहते जिसे विवेक बुद्धि भावना योग
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2.
जीवन का सार

जाने के दिन कह जाऊँगी
मै अपने जीवन का सार
जो देखा, जो पाया उसकी
तुलना करना है बेकार
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3.
जीवन मरण

हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ
घटता है यह हादसा, मित्र सभी के साथ
चाहे दुश्मन उम्र भर करता रहे उपाय
तेरा हक संसार मे, कोई छीन न पाय
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4.
सागर

जितनी जिसकी पात्रता, उतना ही फल पाय
जैसे लोटे मे कभी, सागर नहीं समाय
हीरा रास्ते मे पड़ा, सबकी ठोकर खाय
बिना जौहरी रत्न भी, पत्थर समझा जाय
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5.
समय

क्यों परेशान समय से, समय है पहेलवान
बड़ो - बड़ो के समय ने काट दिये है कान
समय न बिकता है कभी कौन चुकाए दाम
समय किसी का न होता गुलाम I
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6.
यश - वैभव

यश - वैभव के ठाट- बाट,
अब सभी झमेले लगते है
पथ कितना भी हो भीड़ भरा
दो पाँव अकेले लगते है I
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7.
वादे

8.
रहस्य

सबको मिलता समय से, यश धन सत्ता नाम
एक तुम्हारे ही नहीं, सबके दाता राम
इस सराय मे रुके है कितने ही मेहमान
कोई कितने दिन टिके यह जाने भगवान
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9.
भाग्य

जिस दिन मेरा नाम न होगा
उस दिन ही मै तर जाऊँगी
सपनों से छुटकारा पा कर
तुझ मे नया जन्म पाऊँगी
...

10.
जीवन

जीवन मे दोनों आते है
मिट्टी के पल, सोने के क्षण,
जीवन से दोनों जाते है
पाने के पल, खोने के क्षण
...

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