खुशियो के माहोल में जन्मा
हर कोई मुझे खिलाता
सब कि चाहत में बनजाता
कभी में रोता तो कभी में हस्ता
...
ये युग है डिजिटल का
ऑनलाइन है संसार
इन्टरनेट है मुल्क
ईमेल है एड्रेस हमारा
...
मन उदास है साल जा रहा है
कई लम्हे साथ छोड़ रहे है
कई ख़्वाहिशें दम तोड़ रही है
कई यादें रह रह कर आरही है
...
ye yug hai digitak ka
online hai sansaar
internet hai mulk
email hai address hamara
...