गुरुवर तुम्ही बता दो किसकी शरण में जायें।
चरणों में जिसके गिरकर अपनी व्यथा सुनाएं।
अज्ञान के तिमिर ने चारों तरफ से घेरा।
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The God is almighty!
Can God instruct the sun,
to rise from the west,
and to sink in the east?
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एक यार का ब्याह था किया हमें आमन्त्र।
चलो कुमार जरूर तुम, तुमहि पढोगे मन्त्र।
तुमहि पढोगे मन्त्र, बात ये हमें सुहाती।
हमहे घर के चार भये अब पांच बराती।
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अरे मोबाइल तूने कितना, दूर-जनों को पास कर दिया।
जाने-अनजाने रिश्तों को, तूने कितना खास कर दिया।
फुदक-फुदक कर घर-आँगन में जो गौरया चहका करती,
तेरे परम-मित्र टॉवर ने उसका सत्यानास कर दिया।
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मुझको तुम जो मिले, मिल गयी हर ख़ुशी,
और क्या चाहिए, तुमको पाने के बाद।
कह रहा है ये दिल, हम तुम्हारी कसम,
अब न होंगे जुदा, दूर जाने के बाद।
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एक ग्रामीण बालक,
होटों तक बहती नाक को,
आस्तीन से पोंछता हुआ,
फटे, मैल से चीकट कुरते को,
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हम सत के पथ को अपनाएँ, ऐसा सद्ज्ञान हमें दो प्रभो।
ऐसा सद्ज्ञान हमें दो प्रभो......
छाया चहु-ओर अँधेरा है, हमको संशय ने घेरा है।
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Being aware of.
the storm is
about to come,
they try to cross the ocean
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मुद्दत से अमन-शांति चिल्ला रहे हैं लोग।
बारूद रस्ते में बिछाए जा रहे हैं लोग।
होटों पे हंसी, मुस्कुराहट बरकरार है,
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चाल हम पर एक भी, दुश्मन की चल पाई नहीं.
कोई भी ताक़त इरादों को बदल पाई नहीं.
मौत भी थर्रा उठी, दीवानगी को देख कर,
गोलियां सीने पे झेलीं , पीठ पर खायीं नहीं.
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आपकी यादों के साये सामने आते रहे....
गम के साज़ों पर ख़ुशी के गीत हम गाते रहे....
छोर आँचल का दबा मुंह में वो मुस्काना तेरा,
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वक़्त की करवट की संग में भी पलट कर रह गया।
मेरा साया मेरे क़दमों से लिपटकर रह गया।
आंसुओं की धार बनकर बह चला मेरा वजूद,
कल का समुन्दर आज क़तरों में सिमटकर रह गया।
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मुख से निकले शब्द आपके,
ब्रह्म-वाक्य बन जाएँ।
सूर्य, चन्द्र, तारागण मिलकर,
कीर्ति आपकी गायें।
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उतरे अमावस रात्रि में, हे पूर्णिमा के चन्द्रमा।
तुम थे अखण्डित-राष्ट्र की पावन सुगन्धित आत्मा।
तुमने जगायी चेतना, फूंके मृतो में प्राण भी।
होगये तनकर खडे, जीवित तो क्या निष्प्राण भी।
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नन्हा-मुन्ना एक कबाड़ी।
उगी न मूंछ न आई दाढ़ी।
सात साल की उम्र थी उसकी।
करे खुशामद जिसकी-तिसकी।
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सब जल चुका है आग में बाकी है अब धुआं।
तुमने धुंए को आँख का काजल बना दिया।
बुझता हुआ चिराग क्या रौशन करे जहाँ,
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राजा-राजा ऊपर बैठे, रंक-रंक सब नीचे।
आगे-आगे राजा जावें, बाकी उनके पीछे।
ज़रा बगाबत की बू आई, पकड़ ले गए राज-सिपाही,
राजा के आगे ला पटका, जैसे हो माटी का मटका,
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I am originally a writer but by profession a homeopath. At present, I live in Kichha, a well-known city of Uttarakhand state.)
गुरु बंदना
गुरुवर तुम्ही बता दो किसकी शरण में जायें।
चरणों में जिसके गिरकर अपनी व्यथा सुनाएं।
अज्ञान के तिमिर ने चारों तरफ से घेरा।
क्या रात है प्रलय की होगा नहीं सबेरा।
होगा नहीं सबेरा...........
अनजान सी डगर पे कैसे कदम बढाएं।
गुरुवर तुम्ही बतादो...............
छल, दंभ, द्वेष, ईर्ष्या, साथी हैं सब हमारे।
वो कदम-कदम पे जीते हम हर कदम हारे।
हम हर कदम पे हारे.........
दिखला दो राह ऐसी पीछे ये छूट जाएँ।
गुरुवर तुम्ही बता दो........
अन्याय और हिंसा, बैसाखियाँ हमारी।
जिनके सहारे चलकर हमने उमर गुजारी।
हमने उमर गुजारी.......
पैरों को दो वो शक्ती हम चलना सीख जाएँ।
गुरुवर तुम्हीं बता दो............
बहुतों को हमने परखा, बहुतों को देख आये।
अपने ही रूप को हम, अब तक न देख पाए।
अब तक न देख पाए.........
नेत्रों को दो वो दृष्टि, हम खुद को देख पायें।
गुरुवर तुम्हीं बता दो...................
गिरगिट पिता हमारा, माँ लोमड़ी हमारी।
संतान रंग न बदले, तो क्या करे बिचारी।
तो क्या करे बिचारी........
जब खून में ही फितरत, कैसे उसे छिपायें।
गुरु वर तुम्ही बता दो.......
मत मांगो प्रभु जी हमसे, कर्मों का लेखा-जोखा।
खाया है और दिया है, लोगों को हमने धोखा।
लोगों को हमने धोखा..........
ये पाप की गठरिया, क्या खोल के दिखाएँ।
गुरुवर तुम्हीं बता दो.........
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