भारत की गरीबी
भारत की गरीबी को देख पछताता मन , हर रोज एक नये चेहरे दिखाता मन कोइ घर के परेसानियो से जूझता है , कोइ पेट भरने के दानो से जूझता है
आदमी बीमार और जेब फटेहाल है, सोने वाली चिडिया का यही बूरा हाल है
भारत का हाल तो एक नवजाल है, सोने वाली चिडिया का यही बूरा हाल है
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इतिहासिक भूले
इतिहास में जो हमने जो भूल किया है, कुर्सी के लिए उसको कबूल किया है
सन ४७ की भूल नहीं मुझको कबूल, सन ४७ की भूल नहीं मुझको कबूल
इससे बढ़ियाँ है फांसी पे झूल, इतिहास के ये भूल, ये इतिहास के है भूल
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मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
संगीत सुनो रीति यह सुनो, कलयुग की गन्दी नीति सुनो
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भ्रष्टाचार पर प्रहार टूटते सपनो को फिर से हम सजायेंगे, एक नये युग का निर्माण हम करायेंगे
ये तो एक फूल है ये फूल तो मुरझायेगा, बसंत आने के बाद हरियाली फिर से छायेगा |
भारत मे फिर से ईमान हम छायेंगे, बस उसी दिन से मुस्कान हम लायेंगे
टूटते सपनो को फिर से हम सजायेंगे, एक नये युग का निर्माण हम करायेंगे
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अन्धेरा कितना भी हो फिर भी जगमगाना है
जिंदगी बोझ बनके उम्र भर जब रह जाये , आदमी इस तरह उलझे कि मौत तडपाये
भ्रष्टाचार जब सरकार कि गलियो मे फिरे, देश के नेता ही जब भ्रष्टाचारी हो जाये
हमसफर आधे रास्ते मे हाथ छोड दे जब , अपनें भी जब पराये जैसा हो जाये
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जिंदगी
जिन्दगी मीली है जीने की लिए तो , जिन्दादिली दिखाओ तुम
और मौत मिली मरने के लिए तो, कोई कहानी दिखाओ तुम
मै कल चला जाऊंगा तो तुम क्या करोगे, मै याद बहुत आऊंगा तो तू क्या करेगा
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जनाजे कि शाम को भुलाया ना करिये
हाथ से दूर तकदीर नही होती, हर कॉच मे तस्वीर नही होती
दूनिया वाले कुछ भी कहे, मगर अपनो से जूदाई मे जंजीर होती है
जनाजे की शाम को भूलाया ना करिए, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये
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अच्छे दिन आ गये, मोदी जी छा गये
ईंसानियत मे डूब कर फरिस्ता बन जाओ, दिल की गहराईओ से रिस्ता निभाओ
सिर्फ मंजिले पाना ही तुम्हारा लक्ष्य नही, पथ की खाईयो को भी हटाते जाओ
अच्छे दिन आ गये, मोदी जी छा गये, उजियारा छा गये अंधेरे को खा गये
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भारत के वीर
ईस भारत के वीर अनेको हमने ऐसे देखे है
प्राण गवॉ दी जिसने अपनी घुटने कभी ना टेके है
उस भारत के लाल है हम भी हमसे भी टकराना मत
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रिश्तो की डोर
इक दुनिया थी जब रिश्ता था, अब तो रिश्ता का पता नही
किस ओर चली और कहा गई, अब तो दुनिया बस किस्सा है ।
तब गैर भी अपने होते थे, जब पीड़ा हमको होती थी
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