Bharat Ke Veer Poem by AVINASH PANDEY KHUSH

Bharat Ke Veer

Rating: 5.0

भारत के वीर
ईस भारत के वीर अनेको हमने ऐसे देखे है
प्राण गवॉ दी जिसने अपनी घुटने कभी ना टेके है
उस भारत के लाल है हम भी हमसे भी टकराना मत
नही तो ईस धरती को तेरे खुन से कर देंगे लथपथ
मातृभूमि के खातिर हम मुंडो की माल सजा देंगे
शत्रु जो आये भारत मे उसे मौत के घाट लगा देंगे
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह को जीवित देख ना पाये है
लेकिन अपने आपको हमने खुदीराम ही पाये है
वो अंग्रेजो कि कायर सेना हमसे ही थर्राई थी
कलकत्ता से राजधानी को दिल्ली मे बैठाई थी
बंगाल से ही शुरुआत हुई तब चिंगारी ही आग बनी
ईक ज्वाला भडक उठी सबमे भारत के लोगो के मन मे
अंग्रेजो भारत छोडो अब अब खड़े हो गये है हम सब
हम सब चढ़ गये थे फॉसी पर अपनी ईस देश की माटी पर
हो गया देश आजाद मेरा दो टूक हो गया छाती पर
भारत के कुछ गद्दारो ने ये पकिस्तान बनाया था
कुर्सी के कुछ मुख्तारो ने ये पकिस्तान बनाया था
ये पाकिस्तान बना करके भारत ने भुजा गवॉया है
वीरो की धरती पर ही वीरो का नही बुलाया है
वही पाक जो भारत था आज उसी से जलता है
पर सुन लो ऐ दुनिया वालो जंगल मे शेर ही चलता है
ईस भारत के वीर अनेको हमने ऐसे देखे है
प्राण गवॉ दी जिसने अपनी घुटने कभी ना टेके है |

Bharat Ke Veer
Saturday, December 27, 2014
Topic(s) of this poem: love and pain
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
BHARTIYA SHAHEEDO KE TAAKAT SHAHAS KI VIVECHANA KIYA GAYA HAI
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 27 December 2014

Many of the warriors of Bharat have given their lives for nation. Their sacrifices are still memorable. Nice tribute to them and excellent poem written ever. Memorable and heart touching.

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AVINASH PANDEY KHUSH

AVINASH PANDEY KHUSH

20/10/1995 JAUNPUR U. P. BHARAT
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