जब बात एक 'हमसफ़र' की चल निकली है तो,
रंज अपनी महफ़िल सजाने में क्या है: 'देव'
दिखादे दर्द अपने जब ज़माने की सोहबत है
यहाँ तो दर्द देने का कारोबार होता है,
...
वो जो शक्स आँखों से सौदा करता है हर रोज
कोई पूछे उससे दिल का कसूर कितना है
हम तो कारोबारी कभी थे ही नहीं।.
क्यों पूछते हो की व्यापार कितना है….
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'Hamsafar'
जब बात एक 'हमसफ़र' की चल निकली है तो,
रंज अपनी महफ़िल सजाने में क्या है: 'देव'
दिखादे दर्द अपने जब ज़माने की सोहबत है
यहाँ तो दर्द देने का कारोबार होता है,
जो हमको छोड़कर बैठे है गैरों की महफ़िल में
उन्ही को बेवफा कहने का बस यही मौका है
हमे तो दास्ताँ बनाने को बेताब है ये शमां!
जरा पूछो तो इससे की पतिंगे का क्या भरोसा है
यही एक रास्ते में बैठा है कोई जमजम पिलाने को
हमे तो बोतलों की हर बूंद ने रोका है!
आज बैठो मेरे हमसफ़र बनकर ऐ दोस्त
तुझे किसने बताया की ये बंदा अकेला है
मेरे तो रस्ते में ही मंजिल का साथी है
खुद का खेल है ये बस तू मोहरा अकेला है। …।