Devesh Chauhan Poems

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1.
'Hamsafar'

जब बात एक 'हमसफ़र' की चल निकली है तो,
रंज अपनी महफ़िल सजाने में क्या है: 'देव'
दिखादे दर्द अपने जब ज़माने की सोहबत है
यहाँ तो दर्द देने का कारोबार होता है,
...

2.
Dost Ya Dushman

वो जो शक्स आँखों से सौदा करता है हर रोज
कोई पूछे उससे दिल का कसूर कितना है
हम तो कारोबारी कभी थे ही नहीं।.
क्यों पूछते हो की व्यापार कितना है….
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