छोटा-सा पुष्प
शुक्रवार, ११ सितम्बर २०२०
गुलशन काएक छोटा-सा पुष्प
महक तो दी हैपर आयु है अल्प
नहीं है कोई दुसरा विकल्प
मुजे तो करनी हैकायाकल्प!
महकना है मेरा काम
इतनी तोमेरे में हाम (हिम्मत)
सब को करता मे सलाम
मेंबनना चाहता अदना गुलाम।
लिखना मेरा अंदरूनी शौख
कभी कभी लगता मुझे खौफ
लोग कह देते कड़वे दो बोल
क्योंकि में खोल देता उनकी पोल।
खैर, रचना करना मेरी मज़बूरी
पर में रखता बहुत सुबुरी
उसकी रखवाली करता बन के प्रहरी
मुझे हर पल लगती सुनहरी।
कवि की आत्मा बसी है
रगो में मानो बेहता कविता का पानी है
बस युं ही कलम चल जाती है
और कविता बन जाती है।
उसमे मेरा प्रतिबिम्ब है
मानो सब लोग मेरा कुटुंब है
में उनकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूँ
एक शिस्तबद्ध आज्ञांकारी सैनिक हूँ।
डॉ जाडिआ हसमुख
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उसमे मेरा प्रतिबिम्ब है मानो सब लोग मेरा कुटुंब है में उनकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूँ एक शिस्तबद्ध आज्ञांकारी सैनिक हूँ। डॉ जाडिआ हसमुख