प्यार के साज Poem by Shobha Khare

प्यार के साज

गीत बनते है प्यार के साज सुनकर
बहारे आती है खुशी के फूल चुनकर
दुनिया के किसी शय मे रही नहीं दिलचस्पी
चैन मिलता है दिल को तेरी आवज सुनकर II

Saturday, September 12, 2015
Topic(s) of this poem: life
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