परेशान Poem by Ajay Srivastava

परेशान

Rating: 5.0

हमेशा पंक्ति में रहे।
हमेशा शांति और भाईचारे को बढ़ावा दे।
हिंसा का हमेशा विरोध करना चाहिए।
देश के प्रत्येक कानून का सम्मान करे।

अपने जीवन में निष्पक्ष और ईमानदार हो।
आत्म मूल्यांकन जीवन रेखा है।
देश के अनुशाषित नागरिक बनें।
अपने गुस्से को काबू में करने की कोशिश करें।
मनो या न मनो - कोई तुम्हें परेशान करने की हिम्मत नहीं कर सकता - विश्वास करो।

परेशान
Saturday, October 10, 2015
Topic(s) of this poem: awakening
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 10 October 2015

बहुत खूबसूरत. 'हमेशा पंक्ति में रहे' से लेकर अंत तक आपने प्रत्येक भारतवासी को ज़िम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रभावी आह्वान किया है. धन्यवाद. चित्र के लिए विशेष धन्यवाद.

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