तुम पूजा व् अर्चना सिखाती हो।
सेवा भाव भी तुम उत्पन कराती हो।
पालन करना भी तुम्हारा कर्म है।
सब को अपने में समाहित भी तुम कर लेती हो।
प्यार को साजो कर भी रख लेती हो।
संतुष्टि दिलाने में भी सक्षम हो।
अनुनय व् विनय की कला में परागत हो तुम।
प्रेणा का कर्म भी तुम्हारा है।
क्रोधित हो जाओ तो युद्ध भी करा देती हो।
तपस्या भी तुम ही भंग भी कर देती हो।
चाहो तो समान्न को भी मिटटी में मिला देती हो।
चाहो तो सबको नाच नचा भी सकती हो।
सब कुछ होते हुए भी
कौन पागल कहता है।
कौन दुःसाहस करता है।
कौन अपनी हद पर कहता है।
तुम और केवल तुम अबला हो।
तुम तो साक्षात शक्ति का प्रतिक हो।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Very much courageous and devotional poem shared really. Yes he is only the power and power. lord Shiva is Super power. Interesting reading we have with your nicely painted imagery. Fantastic....10