प्यार करके देख Poem by Upendra Singh 'suman'

प्यार करके देख

मेरी ग़ज़ल ‘जरा प्यार कर के देख’ के चंद शेर –

जज्बात है गर दिल में तो इजहार करके देख.
ऐसी भी बुजदिली क्या जरा प्यार करके देख.

प्यार पूजा है ये अल्ला की इबादत है.
मेरे कहे पे थोड़ा ऐतबार करके देख.

ऐसे तो तन्हाई में सारी उम्र गुजर गायेगी.
तू कश्ती को समंदर में उतार करके देख.

ज़िन्दगी तेरी ये खुशिओं की ग़ज़ल गायेगी.
दिल से जरा दिल को तू पुकार करके देख.
ये जो मुहब्बत है ये मुर्दों को जगा देती है.
किसी दिल पे अपना अधिकार करके देख.

मंजिल तेरे क़दमों में खुद आयेगी चलके.
हिम्मत जुटा ‘सुमन’ तू आर-पार करके देख.
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Saturday, November 21, 2015
Topic(s) of this poem: love
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