भूलना Poem by Ajay Srivastava

भूलना

इनको भूलना, इनको माफ कर दीजिए।
वे भावनात्मक रूप से हमें मूर्ख बनाते है।
गलती से ऐसा होता है।
हम उन्हें माफ करने की कोशिश करेंगे।

इनको भूलना, हमारे नियंत्रण से बाहर है।
यह अनैतिक और गैरकानूनी है।
कानून की अनभिज्ञता कोई बहाना नहीं है।
हम वास्तव में असहाय हैं।

इनको भूलना, हमारे पास विकल्प नहीं है।
यह प्राकृतिक आपदा है।
हम पुनर्विचार एवं योजना बनानी होगी ।
हम पुनर्निर्माण करते हैं।
हमारे पास यही रास्ता है।

इसे भूल जाओ, वास्तव में कहना मुश्किल है।
दिन और रात आप की सेवा के लिए ।
आप की सेवा करना हमारा दायित्व है।
इनको भूलना यह वास्तव में मुश्किल है।

रहने भी दो। यह असंभव है।
जीवन में उनके द्वारा दिया जाता है।
उनकी देखभाल हमारे लिए अमूल्य है।
प्रिय लोग हमेशा हमारी यादों में रहते हैं।
विशेष तोर पर वो जो हमें छोड़ कर
इस संसार में हमें अकेल छोड़ गए
उन्हें भूल जाना लगभग असंभव है।

भूलना
Saturday, December 5, 2015
Topic(s) of this poem: forget
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