भोला बचपन
ऐ, अतीत तूने क्यों लूटा, मेरा वो भोला बचपन.
मेरी यादों के मधुबन में, भटक रहा है मेरा मन.
चिंतारहित सुखद मनभावन, मोहक सा वो अल्हड़पन.
था छल-प्रपंच से दूर सदा, उत्फुल्ल हृदय पावन सावन.
ऐ, अतीत तूने क्यों लूटा.......................................
वो हंसी ठिठोली हठ करना, उन्मुक्त मृदुल मतवालापन.
मेरे जीवन का स्वर्णकाल, माँ की गोंदी का सिंहासन.
ऐ, अतीत तूने क्यों लूटा.......................................
वो बालमंडली संग क्रीड़ा, इठलाता गाता नटखटपन.
छीना रे तूने क्यों मुझसे, मेरा वो पावन जीवन धन.
ऐ, अतीत तूने क्यों लूटा.......................................
क्या कहूँ उसे क्या दूँ उपमा, वो नवल विमल अनमोल रतन.
लौटा दे मुझको ऐ, निष्ठुर, मेरा वो गत स्वर्णिम बचपन.
ऐ, अतीत तूने क्यों लूटा.......................................
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बहुत ही अच्छी रचना है