सोने की तरह चमक तुझ मे
सबको अपने मे समहित करने वाला ह्रदय तुझ मे
विवधता की समपुर्णता समाई है तुझ मे
सहज ही सबको अपना बना लेता है|
मतभेद को बडी सरलता से दूर करने की शक्ति तुझ मे|
मानवता को हमेशा प्रोतसहित करना तेरा कर्म है|
सबको एक सा मान और सम्मान देना तेरा स्वाभाव है|
यही तो तेरे असतित्व की पहचान है|
यू ही नही नदीयो को पूजते है यहॉ पर
यू ही नही विभन्न धर्म के लोग यहॉ शीष झुकाते है|
यही है तुम्हारा, हमारा हम सब का भारत|
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Bharteeyata ki pahchan karane wali is sundar kavita ke liye mera aabhar sweekar karen, ajay ji. kam shabdon me aapne itni badi baat kah di hai.