बुराई केसे जाऐगी? Poem by Ajay Srivastava

बुराई केसे जाऐगी?

Rating: 5.0

बेठा लोगै जब अनाचार को तब
कर लेगा दुराचार अपना पेर प्रसार|
पूजने जब लगोगे जब भ्रष्टाचार को
तो स्वतः ही आंतक को निमञंण मिल जाऐगा|
करने लगेगा मानवता पर हमला ऐ दुनिया
वालो यह तो सत्य है अच्छे और अच्छे दोस्त होते है|
वेसे ही बुराई और बुराई की दोस्ती पर शक क्यो होता है|

ऐ दुनिया वालो बुराई केसे जाऐगी?
जब एक बुराई से नफरत और उससे जुडी अनेक बुराइऔ से दिल से प्यार|
ऐ दुनिया वाले कब तक जाऐगी बुराई!

बुराई केसे जाऐगी?
Monday, January 4, 2016
Topic(s) of this poem: evil
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 04 January 2016

इस विचारोत्तेजक रचना में डायनामाईट भरा है, मित्र. आतंक, नफरत, बुराई और सच्चाई के बीच हम मानवता का मार्ग कैसे प्रशस्त कर सकते है, कविता में इस पर नए सिरे से विचार प्रस्तुत किये गए हैं. धन्यवाद, मित्र. पूजने जब लगोगे जब भ्रष्टाचार को तो स्वतः ही आंतक को निमञंण मिल जाऐगा|

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