हर कोई है तुम्हारी बेल की तरह बडती हुई ऊंचाई से तनाव में है
पर हर कोई चाहता है तुमहे थामना पर तुम पर किसी कोई नही सुनती
यहाँ तक दिल जान से चाहने वाले प्रेमी रिज़र्व बैंक
का भी तुम पर ना के बराबर प्रभाव है बार बार समझाने प्रयास करता है
पर तुम हो की मानती नही बेल के वृक्ष की तरह बडती जा रही हो ना टूटती नही हो 11
न तुम्हारा योवन कम होता बल्कि और निखार आ रहा है
योवन और निखार को कम किया जाऐ कोई तो उपाय बताऔ
शांति और राहत का अहसास हो 11
रूक जाना रूक जाना ऐ महगाई थम थम के बड
हमारी जेब है बहुत निराश है हमेशा खाली रहने से 11
हमारी नही तो अपने प्रेमी की बात मान ले 11
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