राह मे चलते चलते|
कदम थम से गए|
आखो मे चमक आ गयी|
दिल मे अनेक रंग खिल गए|
मस्तिष्क मे अनेक प्रशन जग्रत हो गए|
सोचा ना था इतनी जल्दी सामना हो जाएगा|
चाहते प्रगट करने का शीध्र अवसर मिलेगा|
चाहत पूरी होने का समय आ गया|
खुशी मे सबके लिए शंति और सुख की चाहत मांग बेठा|
बस ईतनी सी चाहत है|
'तथा अस्तू' कह भगवान अदृशय हो गए|
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem