पंगा Poem by Ajay Srivastava

पंगा

हमने जो शासन के कुशासन के खिलाफ अवाज उठाई,
शासन के अघिकारी हरकत मे गये और हमारे
से बोले आपने शासन से पंगा लेकर अच्छा नही किया 11
सभी लोग रिशवत देकर अपना सरकारी काम करवाते,
हमने भी अपना करवाने के लिए रिशवत की पेशकश की
हमे कया पता अघिकारी ईमानदार है तो लो यहाँ भी हो गया पंगा 11
कर की चोरी बडे पेमाने पर करते, हमने सोचा कयो ना
हम भी कर बचा ले पर कर हमारी बचत पर कर अघिकारी
ने नोटीस दे दिया फिर कया हमने सोच लिया हम तो लेकर रहेगे पंगा
थक के हमने थोडा केश के साथ थोडी ऐश कर ले,
पर लोगो को लगा की हम ऐश के साथ ऐश कर रहा हुँ
फिर वही भयकर हो गया पंगा 11
हमारे साहस तो देखे, जिससे नेता और अभिनेता डरते है
हमने उस से भी हो गया झूठे और पैसे लेकर समाचार छापने पर
उन लोगो ने चिड कर दो लोग हमारी जासूसी के लिए लगा दिए,
हर रोज बस मै आ जाते है पर उनको
पता नही हग तो उनसे भी पंगा लेने को तेयार है 11

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