बच्चे Poem by Ajay Srivastava

बच्चे

हवा मे उछालो और
क्रिकेट बाल की तरह पकड लो 11
पेरो मे बेठाओ व्यायाम
का आनंद ले लो 11
असंख्य सवाल के उत्तर दो
मुफ्त मे मस्तिष्क तेज
होने का का लाभ उठा लो 11
यकीन मानो विशवास करो
सार्वजनिक स्थान पर भी
पुरुष हो या स्त्री के द्वारा
जितना चाहो चिपटा लो
चुंबन का आनंद ले लो
हर एक उन्हें अनदेखा कर देगा 11
थोडा सा गुस्सा उतार लो
किसी तरह का विरोध नही होगा 11
तभी तो दिखते है बच्चे मासूम और नदान
तभी तो कहते बच्चे मन के सचे आखो के तारे 11

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